Wednesday, 26 May 2021

What matters... -Harekrishna

It does not matter "What" you do, but it matters "How" you do it.
-Harekrishna
Submitted by: Harekrishna
Submitted on: Sat Sep 17 2011 00:00:00 GMT+0530 (India Standard Time)
Category: Quote
Acknowledgements: This is Mine. / Original
Language: English
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[category Quote, English, This is Mine. / Original]

Tuesday, 25 May 2021

चित्ते भ्रान्तिर्जायते... -देवसुत

चित्ते भ्रान्तिर्जायते मद्यपानद्भ्रान्ते चित्ते पापचर्यामुपेति
पापं क्रत्वा दुर्गतिं यान्ति मूढा स्तस्मान्मद्यं नवै पेयम् न पेयम् ||

English translation of Sanskrit Quote:
Consuming liquor (alcohol) causes the mind to be confused (chitta Bhranti - cannot decide what is right and what is wrong), as a result of which the drunkard commits sinful deeds (paapcharya) and thereby his condition becomes miserable (durgati). So, O, unwise persons (moodha), never drink liquor, NEVER.

Transliteration:
chitte bhrantirjAyate madyapAnad-bhrante, chhitte paapcharya-mupaeti,
pApam kritwA durgatim yAnti moodhAs-tadtmsAn-madyam navai paeyam na paeyam.

Submitted by: देवसुत
Submitted on:
Category: Quote
Acknowledgements: Excerpt from ancient text.
Language: संस्कृत/Sanskrit
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[category Quote, संस्कृत/Sanskrit, Excerpt from ancient text.]

Sunday, 23 May 2021

ক্যায়ার/অফ্ -Dev

তোমাকে ,
যদি বলি -
আমার আশা থাকে
পলাশের ডালে ডালে ,
যদি বলি -
আমার কবিতার গোপন
অবাধ্য শব্দ তুমি ,
যদি বলি -
বিকেলে ছায়াদের মিছিল
টানে আমায় তোমার অন্যরূপ
যদি বলি -
তোমায় না ছোঁয়ার যন্ত্রণা
আমার নিকষ আঁধারে আলো
যদি বলি -
আমার স্বপ্ন আর অনুভূতি
তোমারই ফেরার অপেক্ষায়
যদি বলি -
এখনও কি তুমি ঠোঁটে আঙুল রাখো
হঠাৎ যদি বসন্তে বৃষ্টি নামে ?
যদি বলি -
এখনও কি ভাবো যে
আমি তোমার গল্পের প্রথম লাইন !
তবে শোনো -
এই অবেলায় তোমারই আকাশ
শূণ্য মাঝে বৃষ্টি হয়ে পূর্ণ খোঁজে
যতই তুমি থাকো ক্যায়ার/অফ্ ।
Submitted by: Dev
Submitted on:
Category: Poem
Acknowledgements: This is Mine. / Original
Language: বাঙলা/Bangla
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[category Poem, বাঙলা/Bangla, This is Mine. / Original]

Saturday, 22 May 2021

Conscious evolution... -Harekrishna

Consciousness is ascribed to the asking of the question "Who am I?" - which is actually a recognition of ones own existence, which is in turn, based on the "senses". Evolution of the senses is essential to the rise of consciousness. And "meditation", not "addiction", is the method to evolve them to sense beyond the immediate environment. To go beyond in space and in time. When the senses correlate events in time, a sixth sense starts to exist. And when the sixth sense extra-polates into the future, tangible predictions can be made and then verified as they happen.
--
Penned: 30-Nov-2004
Submitted by: Harekrishna
Submitted on: Tue Nov 30 2004 00:00:00 GMT+0530 (India Standard Time)
Category: Quote
Acknowledgements: This is Mine. / Original
Language: English
Search Tags: My own experiments with Truth.
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[category Quote, English, This is Mine. / Original]

Change... -Harekrishna

The surest way to bring change in any organisation is to be an auditor or a client. But, between an auditor and client, the client is more powerful.
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Penned: 20-Dec-2004
Submitted by: Harekrishna
Submitted on: Mon Dec 20 2004 00:00:00 GMT+0530 (India Standard Time)
Category: Quote
Acknowledgements: This is Mine. / Original
Language: English
Search Tags: My own experiments with Truth. Management Quotes.
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[category Quote, English, This is Mine. / Original]

Friday, 21 May 2021

मद्यपस्य कुतः सत्यं... -देवसुत

मद्यपस्य कुतः सत्यं दया मांसाशिनः कुतः
कामिनश्च कुतो विद्या निर्धनस्य कुतः क्रिया ||

English transalation of Sanskrit quote:
It is futile to expect a drunkard (madyapasya = person addicted to alcohol/drugs) to speak truthfully, a carnivorous person (maasa-shina) being kind hearted, an oversexed person being learned and a poor person being active and enterprising.

Transliteration:
madyapasya kutah satyam daya mAnsAshinah kutah,
kAminashcha kuto vidya nirdhanasya kutahh kriyA.

Submitted by: देवसुत
Submitted on:
Category: Quote
Acknowledgements: Excerpt from ancient text.
Language: संस्कृत/Sanskrit
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[category Quote, संस्कृत/Sanskrit, Excerpt from ancient text.]

अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है? -Harivansh Rai Bachchan

अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है?
उठी ऐसी घटा नभ में
छिपे सब चाँद और तारे,
उठा तूफ़ान वह नभ में
गए बुझ दीप भी सारे,
मगर इस रात में भी लौ लगाये कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है?

गगन में गर्व से उठ उठ
गगन में गर्व से घिर घिर,
गरज कहती घटाए हैं
नहीं होगा उजाला फिर,
मगर चिर ज्योति में निष्ठा जमाये कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है?

तिमिर के राज्य का ऐसा
कठिन आतंक छाया है,
उठा जो शीश सकते थे
उन्होंने सिर झुकाया है,
मगर विद्रोह की ज्वाला जलाये कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है?

प्रलय का सब समां बांधे
प्रलय की रात है छाई,
विनाशक शक्तियों की इस
तिमिर के बीच बन आयी,
मगर निर्माण में आशा दृढआये कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है?

प्रभंजक मेघ दामिनी ने
न क्या तोडा न क्या फोड़ा,
धरा के और नभ के बीच
कुछ साबुत नहीं छोड़ा,
मगर विश्वास को अपने बचाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है?

प्रलय की रात को सोचे
प्रणय की बात क्या कोई,
मगर प्रेम बंधन में
समझ किसने नहीं खोई,
किसी के पंथ में पलकें बिछाये कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाये कौन बैठा है?

-हरिवंश राय बच्चन
Category: Poem
Acknowledgements: Non-Original work with acknowledgements
Language: हिन्दी/Hindi
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[category Poem, हिन्दी/Hindi, Non-Original work with acknowledgements]

Education and Experience... -Harekrishna

Education asks you to read the fine print
Experience tells you what you dont have to.
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Penned: 12-Jan-2005
Submitted by: Harekrishna
Submitted on: Wed Jan 12 2005 00:00:00 GMT+0530 (India Standard Time)
Category: Quote
Acknowledgements: This is Mine. / Original
Language: English
Search Tags: My own experiments with Truth.
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[category Quote, English, This is Mine. / Original]

Thursday, 20 May 2021

क्षणशः कणशश्चैव... -देवसुत

क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत् ।
क्षणत्यागे कुतो विद्या कणत्यागे कुतो धनम्॥

Time (kshana) must be treated like material - preciously, while collecting knowledge. Waste time and you waste knowledge, just as, wasting material causes a drain in wealth (dhanam).

Transliteration:
kshanashah kanshashchaiva vidyAmartham ch sAdhayaet,
kshanatyAge kuto vidya, kanatyAge kuto dhanam.
Submitted by: देवसुत
Submitted on:
Category: Quote
Acknowledgements: Excerpt from ancient text.
Language: संस्कृत/Sanskrit
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[category Quote, संस्कृत/Sanskrit, Excerpt from ancient text.]

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती -Harivansh Rai Bachchan

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती,
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती |

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।|

-हरिवंश राय बच्चन
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Editors Note: Also read: हमारे नन्हे कदम
Category: Poem
Acknowledgements: Non-Original work with acknowledgements
Language: हिन्दी/Hindi
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[category Poem, हिन्दी/Hindi, Non-Original work with acknowledgements]

जो बीत गई सो बात गई -Harivansh Rai Bachchan

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई |

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई |

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई |

मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई।।

-हरिवंश राय बच्चन
Category: Poem
Acknowledgements: Non-Original work with acknowledgements
Language: हिन्दी/Hindi
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[category Poem, हिन्दी/Hindi, Non-Original work with acknowledgements]

Happy Holi! - The Joy of Colors -Vidyasagar


The Joy of Colors


Submitted by: Vidyasagar
Category: Drawing
Acknowledgements: This is Mine. / Original
Language: English
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[category Drawing, English, This is Mine]

Wednesday, 10 February 2021

Error and Quality -Harekrishna

"Acceptance" of an error is the first step towards "higher" quality.
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Penned: 2-Dec-2004

Submitted by: Harekrishna
Submitted on:
Category: Quote
Acknowledgements: Original
Language: English
Search Tags: My own experiments with Truth. Management Quotes.
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[category Quote, English, Original]

Sunday, 7 February 2021

Excess freedom breeds... -Harekrishna

Excess freedom breeds indiscipline, excess constraint kills innovation.

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Penned: 4-Sep-2004

Monday, 1 February 2021

For mass struggles, non-violence is... -Bhagat Singh

For mass struggles, nonviolence is essential.

-Bhagat Singh

Category: Quote
Acknowledgements: Non-Original work with acknowledgements
Language: English
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[category Quote, English, Non-Original work with acknowledgements]

Saturday, 30 January 2021

Loyalty to the country... -Lal Bahadur Shastri

Loyalty to the country comes ahead of all other loyalties. And this is an absolute loyalty, since one cannot weight it in terms of what one receives.

-Lal Bahadur Shastri
Category: Quote
Acknowledgements: Non-Original work with acknowledgements
Language: English
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[category Quote, English, Non-Original work with acknowledgements]

Tuesday, 26 January 2021

The preservation of freedom... -Lal Bahadur Shastri

The preservation of freedom, is not the task of soldiers alone. The whole nation has to be strong.

-Lal Bahadur Shastri


Category: Quote
Acknowledgements: Non-Original work with acknowledgements
Language: English
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[category Quote, English, Non-Original work with acknowledgements]

Thursday, 21 January 2021

दूध में दरार पड़ गई -Atal Behari Vajpayee

दूध में दरार पड़ गई
खून क्यों सफेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया |
बंट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई |
दूध में दरार पड़ गई |
खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है |
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई |
अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता |
बात बनाएं, बिगड़ गई |
दूध में दरार पड़ गई | 

-श्री अटल बिहारी वाजपेयी

गीत नया गाता हूं -Atal Behari Vajpayee

बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
पीठ मे छुरी सा चांद, राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूं
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं |

-श्री अटल बिहारी वाजपेयी

Wednesday, 20 January 2021

यत्रनार्यस्तुपूज्यन्ते ... (Where Women Are Honored...) -Janaab

Sarla Thakral: The first Indian woman to fly an aircraft

यत्रनार्यस्तुपूज्यन्तेरमन्तेतत्रदेवता:।
यत्रैतास्तुनपूज्यन्तेसर्वास्तत्राफला: क्रिया: ।।
"Where Women Are Honored, Divinity Blossoms There;
And Where They Are Dishonored, All Action Remains Unfruitful."
— Manu Smriti III.55-59
Submitted by: Janaab
Submitted on: Fri Dec 25 2020 00:00:00 GMT+0530 (India Standard Time)
Category: Quote
Language: संस्कृत/Sanskrit
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[category Quote, संस्कृत/Sanskrit, Ancient Wisdom]