रिमझिम रिमझिम वर्षा आई।
ठण्डी हवा बही सुखदाई ।।
बाहर निकला मेंढक गाता,
उसके पास नहीं था छाता,
सर पर बूँदें पड़ी दनादन
तब घर में लौटा शर्माता,
उसकी माँ ने डाँट लगाई।
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई ।।
पंचम स्वर में कोयल बोली,
नाच उठी मोरों की टोली,
गधा रंभाया ढेंचू ढेंचू
सबको सूझी हँसी ठिठोली,
सब बोले अब चुपकर भाई ।
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई।।
गुड़िया बोली - चाचा आओ,
लो, कागज़ लो, नाव बनाओ,
कंकड़ का नाविक बैठाकर
फिर पानी में नाव चलाओ,
नाव चली, गुड़िया मुसकाई ।
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई ।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
Submitted by: त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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Category: Poem
Acknowledgements: This is a famous person's work in the public domain.
Language: हिन्दी/Hindi
Search Tags: हिंदी बाल कविता
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