आओ, मिलकर दीप जलाएँ।
अंधकार को दूर भगाएँ ।।
नन्हे नन्हे दीप हमारे
क्या सूरज से कुछ कम होंगे,
सारी अड़चन मिट जायेंगी
एक साथ जब हम सब होंगे,
आओ, साहस से भर जाएँ।
आओ, मिलकर दीप जलाएँ।
हमसे कभी नहीं जीतेगी
अंधकार की काली सत्ता,
यदि हम सभी ठान लें मन में
हम ही जीतेंगे अलबत्ता,
चलो, जीत के पर्व मनाएँ ।
आओ, मिलकर दीप जलाएँ ।।
कुछ भी कठिन नहीं होता है
यदि प्रयास हो सच्चे अपने,
जिसने किया, उसी ने पाया,
सच हो जाते सारे सपने,
फिर फिर सुन्दर स्वप्न सजाएँ ।
आओ, मिलकर दीप जलाएँ ।।
-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
Editors Note: HERE is another poem with a similar title by Shri Atal Behari Vajpayee.
Submitted by: त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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Category: Poem
Acknowledgements: This is a famous person's work in the public domain.
Language: हिन्दी/Hindi
Search Tags: हिंदी बाल कविता
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